Sunday, January 26, 2014

“हिंदी सॉफ्टवेयर प्रशिक्षण कार्यशाला” (21-25 अक्टूबर 2013) सम्पन्न :

                हिन्दी हमारी राजभाषा है एवं इसका ज्ञान हम सभी को होना चाहिए इसी उदेश्य को ध्यान में रखते हुये सरदार वल्लभभाई राष्ट्रीय प्रौघोगिकी संस्थान,सूरत के राजभाषा प्रकोष्ठ द्वारा नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति (नराकास) सूरत  के सहयोग से पांच दिवसीय “हिंदी सॉफ्टवेयर प्रशिक्षण कार्यशाला” का आयोजन 21 से 25 अक्टूबर 2013 को किया जा रहा है|


                सोमवार 21 अक्टूबर 2013 को इस कार्यशाला का उद्घाटन किया गया समारोह में मुख्य अतिथि पद पर गुंजन मिश्रा (मुख्य आयकर आयुक्त एवं नराकास अध्यक्ष) विशिष्ट अतिथि पद प्रसेनजीत सिंह (आयकर आयुक्त (अपील) एवं राजभाषा अधिकारी) एवं डॉ माणिक मृगेश (पूर्व सचिव नरकास बड़ोदरा) संस्थान के कुलसचिव एच.ए.परमार, का. हिंदी अधिकारी डॉ. के.डी. यादव मंचासीन थे | कार्यक्रम का प्रारंभ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्जवलन करके किया गया| मौके पर डॉ. के. डी. यादव ने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की जिसमे उन्होंने विस्तारपूर्वक अगले पांच दिनों तक होने वाले कार्यक्रमों का समूचा विवरण दिया | मंच सञ्चालन करते हुए चंद्रशेखर प्रसाद ने कहा वैश्वीकरण के इस दौर में जहाँ भाषाएँ और संस्कृतियाँ अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही है,वहां भारतीय संस्कृति और हिंदी नित नए सोपानों को छूकर अपना विशिस्ट स्थान हासिल कर रही है| राजभाषा प्रचार–प्रसार हेतु आयोजित कार्यशाला के उद्देश्य को आलोकित किया|


                             मुख्य अथिति श्रीमती गुंजन मिश्रा ने कहा कि कोई भी भाषा में काम करने के लिये सबसे जरूरी है कि आप को उस भाषा पर स्वाभिमान होना चाहियेI अधिकतर समय हम अंग्रेजी का इस्तेमाल सिर्फ दिखावे के लिये करते हैंएस.वी.एन.आई.टी. सूरत ऐसे कई सफल राष्ट्रीय कार्यक्रम आयोजित कर चुके है|इसके लिए मैं सभी प्रशासनिक एवं हिंदी अनुभाग से जुड़े अधिकारीयों को बधाई देती हूँ| विशिष्ट अतिथि श्री प्रसेनजीत सिंह जी ने कहा है कि यह कार्यशाला नराकास के सदस्यों के लिये यह बहुत उपयोगी है एवं राष्ट्रीय प्रौघोगिकी संस्थान, एवं नराकास सूरत के द्वारा किया जा रहा सराहनीय प्रयास है| इसलिए सभी प्रतिभागियों को इस कार्यशाला का अधिक से अधिक लाभ उठाना चाहिए| डॉ माणिक मृगेशने कहा कि हिन्दी को  मजबूत  तथा प्रभावी बनाने के लिये किसी भी भाषा के शब्दो का इस्तेमाल किया जा सकता है उसके लिये शुद्ध हिन्दी का ज्ञान होना जरूरी नहीं है | हिंदी को बढ़ावा देने के लिए आज अच्छी सोच एवं दिल से प्रयास करने की जरुरत है | कुलसचिव एच.ए.परमार ने कहा कि हमारे संस्थान द्वारा  हिंदी के क्षेत्र में उच्य स्तरीय कार्य किया है इसलिय संस्थान को गोल्डन जुबली वर्ष में “गोल्डन पीकोक“ सम्मान पुरस्कार की मानक उपाधि से अलंकृत व विभूषित किया गया था | बेहतर और भी बेहतर करने हेतु हमारा प्रयास जारी रहेगा| कार्यशाला में विषय-विशेषज्ञ के रूप में राजेन्द्र वर्मा(सहायक निदेशक,गृह मंत्रालय राजभाषा विभाग पुणे) ने कार्यशाला में सभी ओ.एस. में यूनिकोड सक्रीय करने के तरीके को बताया|  


          
                             उद्घाटन समारोह संपन्न होने के पश्चात कार्यशाला निर्धारित रूप-रेखा के अनुसार चल रही है| इस कार्यशाला में भारत सरकार के राजभाषा से जुड़े विभिन्न राजभाषा नीति नियमोंव्याकरणिक भूलें एवं समाधान देवनागरी लिपि एवं मानक वर्तनी एवं अर्धसरकारी पत्र, टिप्पणी लेखन एवं कार्यालय ज्ञापन,परिपत्र एवं सरकारी पत्र किस तरीके से लिखा जाए,लिखते समय किन-किन बातों का ख्याल रखना चाहिए जेसे विषयों पर विस्तृत चर्चा की जाएगी साथ ही आवश्यकतानुसार संवंधित सॉफ्टवेयर का  प्रशिक्षण दिया जायेगा और आखिरी दिन प्रतिभागियों के बीच सिखाये गए विषयों से संवंधित परतियोगिता का भी आयोजन किया जायेगा | जिसमे प्रथम, द्वितीय,तृतीय व दो सांत्वना पुरस्कार होंगे जिसकी राशि क्रमशः 2500,2000,1500, 1000 व 1000 रुपये होंगे |इस राष्ट्रीय कार्यशाला में संस्थान के  समिति सदस्यों, नराकास सदस्यों सहित कुल 70 प्रतिभागियों ने भाग लिया 

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