Thursday, August 25, 2011

APANA PARIWAR (अपना परिवार) :


                     अपना  परिवार है  अति  सुन्दर ,शोभा  इसकी   सबसे  बेहतर |
वातावरण  है इसका ऐसा  ,शांति    भवन  हो  जैसा ||

पिता  - पुत्र  में  प्रेम  है  ऐसा  , भक्त -भगवान में हो  जैसा |
भाई  -बहन  में प्रेम  है  कैसा ? दीपक –पूजा –चन्दन   में   जैसा ||

घर  के  बच्चे  सज्जन  सारे , लगते  है  सबको  प्यारे  |
कभी  न  किसी  से   झगरा  करते ,रहते  हैं  मिलजुल  कर  सारे  ||

बच्चा  होता  प्यार  का  भूखा ,माता -पिता  होता इसका   दाता |
हमको  सबसे प्यार है कैसा  ? मछली   को पानी  से जैसा ||

माता  बनी  स्नेह  की  मूर्ति ,और  है वो  करुणामयी |
ऐसा  लगता  है जैसे  , यहाँ  हो  कोई  दयामयी ||

हम  सबमें  प्रेम  है इतना  ,सागर  में सलिल  हो  जितना  |
दादा–पोता  में  प्रेम  है कैसा ? गुरु –शिष्य   में  होता  जैसा ||

ध्यान  लगा  कर  पढ़ते  लिखते ,खाते- पीते , हँसते -  गाते |
हम  सब   अनुसासन  में ही   रहते ,सबकी  सेवा  तन-मन  से  करते  ||

हम  सब का  लक्ष्य  है ऐसा ,गाँधी- सुभाष- कलाम  के  जैसा |
दादा  जी  की  बस  एक  ही  इच्छा ,मेरा  पोता  हो सब से अच्छा ||



                              
                                                     चन्द्रशेखर प्रसाद









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