Friday, August 26, 2011

LAL GULAB (लाल गुलाब):



 खून चूसा अवनी का ,रक्तमयी खुनी गुलाब ,
अवनी की उदरदरी से उपजा,अवनी को तरपाया लाल गुलाब  |
आसमान के आंसू पर ,विहँसता खिलता गुलाब,
सूर्यकिरण में  चमकता ,उसपर भी इतराता गुलाब |
माली जीवन उपवन के ,मुस्काता हर्षाता  देख गुलाब,
मानव तेरे जीवन में भी ,बस मृग तृष्णा है गुलाब |
मानव तुमको आकर्षित करता,सुन्दर से सुन्दरतम गुलाब,
भागता तू सुन्दरता के पीछे ,न सोचा क्यों सुन्दर है गुलाब |
जग में जो सुन्दर होता ,मोहता मन को जैसे गुलाब,
कपटी काया निर्मित माया ,ललचाता तरसता छलिया गुलाब |
कांटे तो उसके रक्षक हैं ,उसे भी उपहसित करता गुलाब,
थाम लेते जो दमन को ,है भले भोगी है गुलाब |
पवन के सनन से ,अगरता है गरबिला गुलाब ,
भूल गए अपनो के अगणित ,उपकारो को कृतघ्न गुलाब |
     दर्द-ए-दिल आशिकों की , मुहब्बत का निशान है गुलाब ,
कराहती आत्मियता दारुण व्यथा,सहमति मानवता की पहचान है गुलाब| 

                                       - चन्द्रशेखर  प्रसाद 

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