Thursday, August 25, 2011

HUM BUS DEKHATE RAHE (हम देखते रहे.... ):

ओ गोरी अजनबी कलि तू ,चला गयी दिल पे छुरी |
ऐसे पीछे मुड़ी  जा आगे ,नजरों से घायल कर गई ||
कातिलाना अंदाज उनके,जुल्फ घनेरी काली - काली |

 उड़े  गुलाबी गलों पे ,संभालते  कर ||
चाँद सा चेहरा रौशन , आँखे नीलम - नीलम सी |
माथे पे चमक , तन पे रौनक ,मचाये दिल में हलचल ,
गोरा मुखरा, जिस्म सुनहरा ,नैनों  से छलके है मदिरा ||
कानों में बाली,होठ पे लाली,चाल अजब मतवाली |
हर पल - हर छन,पवन करे सनन-सन ||
मचलता है मन, सुन कर पायल की छमक - छम |
कंगन की खनक – खन से , बढ़ गई मेरे दिल की बेकरारी ||
बिन पिए चढ़ गई खुमारी , क्या बताएं वो बेताबी का आलम ?
में डूब गया इश्क की गहराई में ,में खो गया एहसास की परछाई में ||
में दे रहा था खुद को दुहाई ,  गौरतलब है उसकी जुदाई में |
अब सुकून-ए-दिल परछाई पाने को , कायनात के उस क़यामत को ||
हम तड़पते  रहे ,  रूहतलक , हम देखते रहे  |
हम बस देखते रहे ...................|| 
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क्योंकी वो हमारी सीनियर  थी ......!!!!


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